Thursday, August 27, 2009

अहंकार समस्‍या, समर्पण समाधान - मुनि पुलकसागर

दशलक्षण महापर्व अन्तर्गत उत्तम मार्दव दिवस पर वात्सल्य धाम सभागार में हुए प्रखर वक्ता विख्‍यात चिन्‍तक एवं मनोज्ञ मुनि श्री पुलक सागर महाराज की नित्‍य प्रवचन माला में मुनि श्री ने अहंकार को जीवन की सबसे बडी समस्या निरूपित करते हुए समर्पण को इसका अचूक और सार्वकालिक समाधान बताया। मुनि श्री ने कहा कि समर्पण से जीवन स्वर्ग बन जाता है। मुनि श्री ने साधना में भी संवेदनाओं को विस्‍मृत न करने की आवश्यकताओं पर बल देते हुए कहा कि व्यक्ति यदि जीवन में विनम्रता को अपना ले तो वह सबकी आंखों का तारा बन जाता है। मुनि श्री ने अहंकार विसर्जन पर बल दिया और कहा कि भक्त और भगवान के मध्य केवल अहंकार का ही परदा है जिस दिन यह परदा गिर जाएगा उस दिन आत्मा से परमात्मा का मिलन सहज ही हो जाएगा। मुनि श्री ने एक कंगाल और राजा द्वारा उसे मंत्री बनाए जाने की कथा के माध्यम से श्रावक श्राविकाओं तथा शिविरार्थियों का आह्वान किया कि वे जीवन में सदैव अहंकार मुक्त रहने के लिए दो बातों का ध्यान रखे। अपने अतीत और ओकाद को कभी नहीं भुले। पदार्थ छोडा, अहंकार ओढा मुनि श्री ने जीवन में अहंकार को सभी समस्याओं की जड बताते हुए कहा कि अभिमान के कारण ही व्यक्ति न केवल संसार के लोगों से अपितु परमात्मा से भी दूर हो जाता है। मुनि श्री ने अहंकार के प्रकार रेखांकित करते हुए कहा कि केवल जोडने का ही अहंकार नहीं होता अपितु छोडने का भी अहंकार हमारे मन मस्तिष्‍क पर सवार हो जाता है। मुनि श्री ने कहा कि कोई साधु पदार्थ तो छोड देता है लेकिन बदले में अहंकार ओढ लेता है। उसे अपने तप, त्याग, संयम पर अभिमान होने लगता है। मुनि श्री ने कहा कि सच्चा साधु वही है जिसे कभी अपने त्याग और ज्ञान का अहंकार न हो। यदि संत में अहंकार आ जाता है तो वह श्रावक से भी बदतर है। मुनि श्री ने कहा कि धन का अहंकार तो दिखता है लेकिन त्याग का अहंकार दिखता नहीं है। मुनि श्री ने कहा कि दौलत आ जाए तो बडी बात नहीं लेकिन दौलत आने के बाद विनम्रता बनी रहे वह बडी बात है। बुलंदियां छुना महत्वपूर्ण नहीं है बुलन्दियों पर बने रहना बडा मुश्किल है। मुनि श्री ने कहा कि दिगम्‍बर संत कभी श्राप नहीं देते जो श्राप दे वह संत नहीं है। मुनि श्री ने जीवन में विनम्रता का सदैव साथ और साया होने की अभिलाषा व्यक्त करते हुए कहा ए खुदा मुझे इतनी ऊचाई न दे जहां से मुझे इंसान दिखाई न दे। मुनि श्री ने कहा कि उत्तम मार्दव धर्म यही कहता है कि हम विनम्र बने रहे और अहंकार का विसर्जन करे, जिसका उपकार है उसके प्रति एहसान मंद रहे। उन्होंने कहा कि उत्तम मार्दव दिवस मैं को मिटाने का दिन है। निंदा, पराजय से होती है प्रकट यदि किसी व्यक्ति की अधिकतम निंदा होती है तो इसका अर्थ है निंदक उसके किसी गुण से बुरी तरह परास्त है। मुनि श्री ने कहा कि जीवन में ईर्ष्या किसी को जितना बर्बाद करती है उतना पराभव कोई नहीं करता। मुनि श्री ने कहा कि निंदा वही करते है तो पराजित है। हारा हुआ व्यक्ति हमे भीतर से उबलता रहता है। उन्होंने कहा कि सबके उद्धार का भाव रखना ही संतत्व है जबकि आगे बढने वाले के प्रति ईर्ष्या का भाव दुष्टता और कुटीलता का परिचायक है। शाख से टुटे हुए फू ल ने कहा अच्छा होना भी बुरी बात है जमाने में। पंक्तियां सुनाकर मुनि श्रीने जीवन में श्रेष्ठता को पाने के जोखिम भी गिनाए । मुनि श्री ने कहा परीक्षा अच्छे और सच्चे की होती है। हाथ में जब कांच अथवा कोयला हो तो न तो इसे कोई संदेह की दृष्टि से देखता है न इसकी परीक्षा करना चाहता है। इसके विपरित यदि सोना और हीरा आ जाए तो सौ तरह से इसकी परीक्षा होती है। असली है या नकली का संशय मन में असंख्य सवाल खडे करता है इसलिए यदि जीवन में हमारी भी परीक्षा होने लगे तो इसका अर्थ यही है कि कही न कही हमारे भीतर हीरे और सोने की महिमा समाहित है। भारत का केकडा मुनि श्री ने अधकितम लोगों में ईर्ष्या भाव होने का तथ्य उद्घाटति करते हुए विश्‍व केकडा सम्मेलन का प्रसंग सुनाया और परिहास के साथ इस सत्य को भी स्पष्ट किया कि टांग खिंचाई में यहां कोई किसी से पीछे नहीं। विश्‍व भर से केकडे विमान के जरिये आयोजन स्थल पहुंचाए जा रहे थे। अन्य सभी देशों के केकडों के डोलते के तो ढक्कन लगे हुए थे लेकनि भारतीय केकडों वाले डोलचे का ढक्कन खुला था पायलट सहित अन्य लोगों ने संभावित खतरे से अवगत कराया और ढक्कन बंद करने का मशवीरा दिया तो केकडों के साथ जा रहे व्यक्ति ने कहा चिंता न करे ये केकडे किसी भी अन्य केकडे को उपर नहीं चढने देंगे जैसे ही आगे बढेगा उसकी टांग खीचकर नीचे गिरा देगा। यही तो जीवन की सबसे बडी कमजोरी है कि हमसे कोई आगे न बढ जाए और अगर बढ रहा है तो अपनी ताकत उससे आगे बढने में नहीं उसकी ढांग खीचने में उपयोग में लाई जाए। श्री पुलक सागर महाराज ने अफवाहों पर भी अपनी वाणी को मुखरता दी और कहा कि अफवाहे हमेशा हवा पर सवार होकर आती है लोग जितनी सच्चाई पर भरोसा नहीं करते उससे ज्यादा विश्‍वास अफवाहों पर करते है। अफवाहे दो दिलों में दूरियां बढाती है और मन खट्टा कर देती है।

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